जबलपुर। मध्यप्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में जारी है. इससे पहले हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच रिपोर्ट और सरकार की रिपोर्ट को देखकर कई निर्देश जारी किए थे. याचिका पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सरकार की तरफ से नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता व संबद्धता संबंधित ओरिजिनल फाइल पेश की गयी. इस फाइल का हाई कोर्ट ने बारीकी से अध्ययन कर याचिकाकर्ता को निर्देश जारी किए।
15 दिन में जिम्मेदार अफसरों के नाम शामिल करें
हाई कोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया ष्वह 15 दिन में फाइलों का परीक्षण कर तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ जिम्मेदार अधिकारियों के नाम पेश करें। बता दें कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया ष्प्रदेश में नियम विरुद्ध नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं. नियमों को ताक पर रखकर कॉलेजों को मान्यता प्रदान की गयी. तत्कालीन अधिकारियों द्वारा मान्यता नियम 2018 में 3 बार संशोधन किए गए. फर्जी कॉलेजों को लाभ पहुंचाया गया।
पिछली सुनवाई में सरकार को ये निर्देश मिले थे
पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नियमों में किए गए सभी संशोधनों की ओरिजनल फाइल पेश करने के निर्देश सरकार को दिए थे. इसके अलावा मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित नर्सिंग काउंसिल द्वारा सभी अपात्र नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और संबद्धता से जुड़ी ओरिजनल फाइल पेश करने के निर्देश जारी किए थे. सरकार ने सारे दस्तावेज पेश किए. सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सीबीआई जांच में कई कॉलेजों ने छात्रों का एडमिशन नहीं होना बताया है. सीबीआई ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में इन कॉलेजों का उल्लेख किया है।
कोर्ट को ये भी बताया गया ष्कॉलेजों ने बाद में बैकडेट पर एडमिशन दर्शाते हुए छात्रों के एनरोलमेंट नंबर के लिए आवेदन किया.ष् युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश को संशोधित करते हुए कहा ष्सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर छात्रों के एनरोलमेंट किए जाएं. इसके अलावा एक माह की अवधि में अपात्र कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों का ट्रांसफर पात्र कॉलेज में किया जाए।
