ग्वालियर। अक्सर जीवन में ऐसा मोड़ आता है जब हम जिस समाज मे थे,जिस संस्था में थे, जिस रिश्ते से जुड़े थे या फिर जिस वतन में रहवसी थे फिर अचानक वहां से विदाई लेने का अर्थात जाने का समय आ जाता है। इस मोड़ पर जब कोई अपना हमसे बिछड़ता है विदा लेता है। तब हमें याद आते है उसके साथ बिताए गए कुछ ऐसे पल,यादों का ऐसा गुलदस्ता जिसमें खुशी के साथ गम भी होता है। ऐसा ही नजारा ग्वालियर जिले के मुरैना रोड स्थित वीरांगना झलकारी बाई कन्या महाविद्यालय में शनिवार को दिखाई दिया। इस नजारे में खुशी और गम दोनों समान विद्यमान थे। इसका मुख्य कारण महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ अनुभा सिंह के शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होना था। जिनके सम्मान में महाविद्यालय परिसर में विदाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। जैसे ही डॉ अनुभा सिंह ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों के साथ महाविद्यालय परिसर में कार्यक्रम में शामिल होने प्रवेश किया वैसे ही महाविद्यालय के प्राचार्य, सभी बच्चे,सभी शिक्षकगण, कर्मचारीगण इत्यादि मुख्य द्वार पर एकत्रित हो गए और अपने सहयोगी साथी का,अपने गुरु का तिलक लगाकर, पुष्प वर्षा कर गाजे बाजे के साथ अगवानी करते हूए अभिनंदन वंदन किया। देखते ही देखते बधाई देने वालों का तांता लग गया। माहौल में जहां अजीब सा उत्साह था तो वहीं गम का गहरा सन्नाटा भी था। जिसका रसपान करने हेतु संपूर्ण महाविद्यालय परिवार विदाई समारोह में शामिल होने एकत्रित हुये थे।
कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों में मुख्यअतिथि डॉ अनुभा सिंह को बनाया गया। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रचार्य डॉ बी एल अहिरवार ने की। जबकि डॉ अनुभा सिंह के पति शिवराज सिंह वशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन थे। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती तथा डॉ अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पहार पहनाकर किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत छात्रा कुमारी सुमन सेंगर के लोकनृत्य की प्रस्तुति से किया गया। तदुपरांत महाविद्यालय के सभी शिक्षक, कर्मचारियों व छात्राओं ने डॉ अनुभा सिंह का जोशीला, जोरदार स्वागत कर उन्हें फूलों की मालाओं से लादने में कहीं कोई कसर नहीं छोडी। इसके बाद साथी शिक्षकों व शिक्षिकाओं ने डॉ अनुभा सिंह के साथ बिताएं दिनों की यादों को साझा करते हुए बारी बारी दिये उद्बोधन में सर्वप्रथम डॉ ममता दुबे ने डॉ अनुभा सिंह की कार्य कुशलता की जमकर तारीफ की। इसी क्रम में डॉ कल्पना भदौरिया ,चरणजीत सिंह,डॉ शशि द्विवेदी, डॉ एमपी शर्मा ,डॉ आर एस भदौरिया,कंचन शाक्य,अंशुरानी, अर्चना धाकड़,समाजसेवी श्री प्रकाश सिंह निमराजे,शिवराज सिंह आदि ने डॉ अनुभा सिंह के अनुभवों कर्मठता की मिसाल दी। बच्चों व शिक्षकों द्वरा डॉ अनुभा सिंह को उपहार भी दिये गये। कार्यक्रम समापन से पूर्व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बीएल अहिरवार ने कहा कि मैडम डॉ अनुभा सिंह की महाविद्यालय में सदैव कमीं खलती रहेगी। उनके सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व को हम कभी नहीं भूल पाएंगे। महाविद्यालय की उन्नति के लिए उन्होंने जो सहयोग तथा कार्य किये उसके लिए महाविद्यालय सदैव उनका ऋणी रहेगा। इसी क्रम में प्राचार्य श्री अहिरवार द्वारा डॉ अनुभा सिंह को महाविद्यालय परिवार की ओर से शॉल , पुष्पमाला पहनाकर तथा भगवान बुद्ध की प्रतिमा देकर जैसे ही सम्मानित किया। हॉल तालियांकी तडतडाहट से गूंज उठा। अगले क्रम में डॉ अनुभा सिंह सभीको संबेधित करते हुये कहा कि मेंहनत,लगन से किये गयेकार्यों में सफलता अवश्य मिलती है। सदैव अपने कार्य अर्थात् डुयूटी करते रहो। ऐसा करने से कभी नकारात्मकता पास में नहीं आयेगी। जीवन आनंद से सराबोर हो जायेगा। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित डॉ अनुभा सिंह की बेटी प्रोफेसर प्रियंका,शोभना सिंह (शिक्षिका)व बेटे इंजी प्रणव ने अपनी मां के द्वारा घर परिवार व समाज के लिए किए कई गए कार्यों को सबको बताया। उन्होंने कहा कि वह जितनी अच्छी प्रोफेसर हैं उतनी अच्छी हमारी प्यारी मां भी है। जिसे शब्दों में कह पाना हमारे लिए मुश्किल है। वहीं यादौ भरे इस कार्यक्रम का संचालन डॉ साधना जैन ने किया। बता दें डॉ अनुभा सिंह ने अपने 35 साल के शिक्षक कार्यकाल में तीन शासकीय विद्यालयों में सेवाएं दी। जिसमें प्रथम शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर,दूसरा शासकीय वृंदा सहाय महाविद्यालय डबरा और तीसरा वीरांगना झलकारी बाई कन्या महाविद्यालय मुरैना रोड, ग्वालियर शामिल है। जिसमें वीरांगना झलकारी बाई कन्या महाविद्यालय में सर्वाधिक 25 वर्ष सेवाएं दी। इसके अलावा कई अन्य प्रभार भी उनके पास रहे। जिसे उन्होंने बडी कुशलता के साथ संभाला। लंबी संवाएं देने के उपरांत डॉ अनुभा सिंह आज सेवानिवृत्त हो गई।
