समय पर बोनी एवं संतुलित उर्वरक प्रबंधन से बढ़ेगी सरसों की पैदावार
ग्वालियर। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अंर्तगत अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन तिलहन रबी 2025-26 योजना में फसल सरसों किस्म डीआर,मआर 1165-40 (रूकमणी) को राजापुर पंचायत अंर्तगत 20 हेक्टेयर हेतु ग्राम मकौनी एवं खैरी के 50 कृषिकों को कृषि विज्ञान केन्द्र दतिया में बीज का वितरण किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुये डॉ- विश्वनाथ सिंह कंसाना प्रभारी क्लस्टर तिलहन ने सरसों की उन्नतशील किस्म डीआरएमआर 1165-40 (रूकमणी) के गुणों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सरसों की उक्त किस्म दतिया जिले की जलवायु के अनुकूल है। डॉ- कंसाना ने कहा किसान भाई उक्त बीज की समय से बोनी एवं संतुलित मात्रा में उर्वरक प्रबंधन करने से फसल में कीट-रोध व्याधियां का प्रकोप कम देखने को मिलता है। सरसों की उक्त किस्म की बोनी किसान भाई 15 अक्टूबर से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक 4-5 कि-ग्रा- बीज/हेक्टेयर की दर से करना उचित होगा। जिसके लिये 25-30 डिग्री तापक्रम अच्छा माना जाता है। सिंचित अवस्था इस किस्म की पैदावार 20-25 कुंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है। सल्फर, जिंक और नाइट्रोजन एवं संतुलित उर्वरक प्रबंधन से इसकी तेल प्रति”ात 40-42 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। यह किस्म अल्टरनेरिया ब्लाइट रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म है। केन्द्र प्रमुख डॉ- अवधेश सिंह ने सरसों के लिये अच्छी जल निकास भूमि पीएच मान 6-8 की भूमि में बुवाई की सलाह दी। उन्होंने कहा सरसों में आईपीएम एवं आईएनएम का उपयोग करने की सलाह दी। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए.के. सिंह सरसों की फसल के साथ-साथ रबी की अन्य फसलों में पौध सरक्षिता पर विस्तार से व्याख्यान दिया। डॉ- रूपेश जैन कृषि के साथ-साथ पशुपालन के महत्व पर प्र्रकाश डाला एवं समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय से रावे हेतु आई हुई 15 छात्राओं ने सहयोग कर सहभागिता निभाई एवं प्रशिक्षण संबंधित व्यावहारिक एवं प्रयोगिक ज्ञान अर्जित किया।
सरसों बोनी का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से नवम्बर प्रथम सप्ताह: डॉ. विश्वनाथ कंसाना
