सत्य को स्वीकारने का साहस ही वास्तविक राष्ट्रभक्ति है: समाजसेवी अरुणेश सिंह भदौरिया

ग्वालियर। ग्वालियर में चल रहे अंबेडकर मूर्ति विवाद बजाय थमने के दिन प्रतिदिन आग की तरह फैलता ही जा रहा है। दोनों ही पक्षों से आरोप प्रत्यारोप का दौर निरंतर जारी है। इसी जारी गतिरोध के बीच समाजसेवी अरुणेश सिंह भदौरिया (राष्ट्रीय अध्यक्ष जनशक्ति वेलफेयर सोसायटी) की भी एंट्री हो गई है। उन्होंने एडवोकेट अनिल मिश्रा का समर्थन करते हुये कहा, कि एडवोकेट मिश्रा किसी व्यक्ति या समाज के विरोध में नहीं, बल्कि उनका प्रयास इतिहास की सच्चाई को सामने लाने का है। डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष थे। यह सर्वविदित है, और उनका योगदान अतुलनीय है। परंतु संविधान का प्रारंभिक ’ड्राफ्ट’ वास्तव में बी.एन. राव साहब द्वारा तैयार किया गया था जिसे बाद में डॉ. अंबेडकर जी ने संशोधित कर अंतिम रूप दिया। श्री भदौरिया अपनी बात को जारी रखते हुये कहा कि आज दुख इस बात का है कि कुछ लोग अंबेडकर जी को प्रभु श्रीराम से भी ऊपर बताने लगे हैं। जबकि अंबेडकर जी ने स्वयं किसी को ऊँचा-नीचा नहीं माना। उनका उद्देश्य समानता और एकता था। इसलिए अनिल मिश्रा जी ने जो कहा, वह ’सच्चाई की आवाज’ है, न कि किसी के विरुद्ध। श्री भदौरिया ने कहा कि हम सबको सत्य और संतुलन के साथ खड़ा होना चाहिए ।क्योंकि इतिहास सम्मान का विषय है, प्रतिस्पर्धा का नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *