नई दिल्ली। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति को भाजपा अंतिम रूप देने में जुट गई है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दो दिवसीय बिहार यात्रा को भी इसी क्रम में देखा गया. अमित शाह की 18 और 19 सितंबर को बिहार की यात्रा ने एनडीए के भीतर सीट बंटवारे की अटकलों को हवा दे दी है. इस दौरान उन्होंने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बंद कमरे में बैठक की थी. इस बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी,मंत्री विजय कुमार चौधरी और जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी मौजूद थे।
सूत्रों की मानें तो, इस मुलाकात में 243 विधानसभा सीटों के बंटवारे की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई. शाह ने अपनी यात्रा के दौरान बेगूसराय और डेहरी-ऑन-सोन में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत का दावा भी किया. उन्होंने कहा, ष्एनडीए इतने बड़े बहुमत से सत्ता में लौटेगी कि विपक्षी नेता तेजस्वी यादव अगली बार चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं करेंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से बातचीत
शाह के इस दावे ने विपक्षी पार्टियों के बीच हलचल मचा दी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शाह की यात्रा का एक प्रमुख एजेंडा एनडीए के छोटे सहयोगियों की मांगों को संतुलित करना था. भाजपा और जेडीयू के शीर्ष नेता 3 सितंबर को दिल्ली में भी मिल चुके हैं, जहां राज्य स्तर की सर्वेक्षण रिपोर्ट और विपक्ष की रणनीति पर फीडबैक लिया गया था. सूत्रों के मुताबिक, अंतिम फैसला शाह और नीतीश कुमार ही लेंगे.
सूत्रों की मानें तो एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर छोटे दलों का दबाव बढ़ता जा रहा है. 2020 के चुनावों में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जिसमें भाजपा को 74, जेडीयू को 43, हम(एस) को 4 और वीआईपी को 4 सीटें मिली थीं. इस बार वीआईपी पार्टी विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम नए सहयोगी हैं.
एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला!
इस चुनाव में जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा भाई का दर्जा मिलने की संभावना है. वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो जेडीयू को 102-103 सीटें मिल सकती हैं. नीतीश को एनडीए का चेहरा बनाने का फैसला भाजपा ने लिया है, जो 2020 के मुकाबले जेडीयू को मजबूत बनाएगा. वहीं भाजपा को 101-102 सीटें मिलने की संभावना बताई जा रही है।
भाजपा राज्य स्तर पर सर्वेक्षण के आधार पर श्जीतने लायकश् सीटों पर फोकस कर रही है. सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान की पार्टी ने 40 सीटों की मांग की है, लेकिन जेडीयू इससे सहमत नहीं. अंतिम आंकड़ों में 25-28 सीटें मिलने की संभावना है. चिराग पासवान ने शर्त रखी है कि श्संख्या से ज्यादा गुणवत्ता मायने रखती हैश्, यानी जीत की गारंटी वाली सीटें. जबकि हम(एस) यानी जीतन राम मांझी की पार्टी ने 15-20 सीटों की मांग की है. सूत्रों के मुताबिक मांझी को 6-7 सीटें दी जा सकती हैं. हालांकि, मांझी ने इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बताया है।
जबकि आरएलएम यानी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 4-5 सीटें मिलने की उम्मीद है. हालांकि ये आंकड़े अंतिम नहीं हैं, लेकिन गठबंधन की एकजुटता बनाए रखने के लिए भाजपा लचीला रुख अपना रही है. 17 सितंबर को शाह की यात्रा से पहले ही सहयोगियों ने अपनी-अपनी मांगें सील बंद लिफाफों में सौंप दी थीं.
वहीं एनडीए गठबंधन के सहयोगियों की मांग को देखते हुए विपक्षी महागठबंधन ने एनडीए की तैयारियों पर पलटवार किया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि वे सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे, जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों की मांग की है. विपक्ष का मुख्य आरोप चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर है, जिसे वे श्वोट चोरी का एटम बम और हाइड्रोजन बमश् बता रहे हैं.
राहुल गांधी की 17 अगस्त से 1 सितंबर तक चली श्वोटर अधिकार यात्राश् ने बिहार के 20 जिलों को कवर किया. विपक्ष का कहना है कि एसआईआर के तहत लाखों अल्पसंख्यक, प्रवासी और गरीब मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं, जो पारंपरिक रूप से उनके पक्ष में वोट देते हैं.
देखा जाए तो बिहार चुनाव हमेशा ही जातिगत समीकरण पर टिका रहता है. 2023 के जाति सर्वे के अनुसार, ईबीसी 36ः हैं, जो आरजेडी के लिए फायदेमंद हो सकता है. एनडीए विकास और कल्याण योजनाओं पर जोर दे रही है, जबकि विपक्ष श्जंगल राजश् के आरोपों से बचने की कोशिश में है. प्रशांत किशोर की श्जन सुराजश् पार्टी शिक्षा और स्वच्छ राजनीति पर फोकस कर युवाओं को लुभा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था, जो एनडीए की विकास छवि को मजबूत कर सकता है।
एनडीए में कोई विवाद नहीं…
एनडीए के बीच सीट बंटवारे पर बात करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि एनडीए में सहयोगी पार्टियों के बीच किसी भी तरह के तालमेल का अभाव नहीं है और सभी पार्टियों अब चुनाव पर फोकस कर रहीं हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और भाजपा के बीच सीटों के तालमेल को लेकर कोई विवाद नहीं है और एनडीए के सहयोगी दल मिलकर चुनावी सभाएं कर रहे हैं और अब तो सिर्फ ये देखना है कि सभी सहयोगी पार्टियां मिलकर कैसे बिहार की 80 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज करती हैं।
बहरहाल बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग अगले सप्ताह तारीखों की घोषणा कर सकता है, जिसमें दो या तीन चरणों में मतदान कराए जाने की संभावना है. चुनावी शंखनाद से पहले एनडीए की एकजुटता और विपक्ष के आरोपों के बीच बिहार की सियासत रोमांचक मोड़ ले रही है. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे या भाजपा अंदरखाने कोई प्लान बी को लेकर आगे जाएगी, ये तमाम बातें चुनाव के बाद ही पता चल पाएंगी।
