पहली बार झारखंड की राजधानी में आए दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर जॉन्टी रोड्स
रांची। विश्व क्रिकेट के महानतम फील्डरों में शुमार पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने पहली बार रांची का दौरा किया. रांची चौंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में मुख्य अतिथि के रूप में जोंटी रांची पहुंचे.शहर पहुंचते ही उन्होंने यहां की जनता के उत्साह और गर्मजोशी की खुलकर तारीफ की. रोड्स ने कहा कि रांची की ऊर्जा और यहां के लोगों का प्यार वाकई कमाल का है. मैंने भारत के कई शहर देखे हैं लेकिन यहां का माहौल सबसे अलग और आत्मीय है.
उन्होंने कहा कि यहां के बच्चों में क्रिकेट के प्रति जो जुनून है, वह भारतीय क्रिकेट के भविष्य को उज्जवल बनाता है. मैं हैरान हूं कि आज की पीढ़ी भी मेरे पुराने मैच देखकर मुझे पहचानती है. यह बताता है कि क्रिकेट भारत में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक भावना है, उन्होंने मुस्कराते हुए कहा.
धोनी के प्रति जताया सम्मान
महेंद्र सिंह धोनी की फिटनेस और स्वभाव पर बात करते हुए रोड्स बोले, धोनी हमेशा मेरे लिए प्रेरणा रहे हैं. उनकी शांत स्वभाव, फिटनेस और मैदान पर धैर्य उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाता है. जब टी-20 में कप्तान घबरा जाते हैं, धोनी तब भी स्थिर रहते हैं, यही उनकी असली ताकत है.उन्होंने बताया कि भले ही उन्होंने धोनी के साथ कभी सीधे काम नहीं किया लेकिन कोचिंग के दौरान उनके खिलाफ रणनीतियां बनानी पड़ीं. महेंद्र सिंह धोनी हमेशा आत्मविश्वासी और संयमित कप्तान रहे हैं, जो हर हालात में सही फैसला लेते हैं.
फील्डिंग का जुनून आज भी बरकरार
56 वर्षीय रोड्स ने कहा कि उम्र बढ़ने के बावजूद उनका जुनून कम नहीं हुआ है. उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि मेरी पत्नी अब मुझे डाइव लगाते देखकर डर जाती हैं लेकिन यह मेरा स्वभाव है. अगर मैं 60 साल का भी हो जाऊं और गेंद मेरे इलाके में आए तो मैं छलांग जरूर लगाऊंगा.
युवाओं को दी फिटनेस और प्रैक्टिस की सीख
जोंटी रोड्स ने युवा क्रिकेटरों को संदेश देते हुए कहा कि सिर्फ मेहनत काफी नहीं, परफेक्ट प्रैक्टिस जरूरी है. उन्होंने कहा कि आज क्रिकेट शारीरिक रूप से काफी मांग वाला खेल बन चुका है. कई युवा खुद को बुलेटप्रूफ मान लेते हैं लेकिन फिटनेस और रिकवरी दोनों का संतुलन ही करियर को लंबा बनाता है, उन्होंने सलाह दी.
भारत को बताया ‘दूसरा घर’
भारत के प्रति अपने लगाव को साझा करते हुए रोड्स ने कहा कि भारत मेरे लिए दूसरा घर है. मैं हर साल करीब पांच महीने यहां बिताता हूं. इस बार मैं मंगलुरु से रांची आया हूं और यहां से चंडीगढ़ जाऊंगा. गोवा में मेरी मोटरबाइक है और मैं लोगों से आमने-सामने मिलना पसंद करता हूं क्योंकि हर मुलाकात से कुछ नया सीखने को मिलता है.
उन्होंने अंत में कहा कि क्रिकेट सिर्फ मैदान पर नहीं खेला जाता, बल्कि यह टीमवर्क की भावना है. स्पॉन्सर से लेकर सपोर्ट स्टाफ तक, हर कोई इस खेल का अहम हिस्सा है. मुझे गर्व है कि मैं अब भी क्रिकेट से सीख रहा हूं.
दरअसल रांची में 4 नवंबर से 9 नवंबर तक आयोजित रांची चौंपियंस ट्रॉफी का आज रविवार को फाइनल मुकाबला खेला गया. ये फाइनल मुकाबला कल्चरल एंड नॉलेज डेवलपमेंट और अग्रवाल युवा सभा के बीच मुकाबला खेला गया. जिसमें कल्चरल एंड नॉलेज डेवलपमेंट की टीम ने जीत हासिल की और विजेता खिलाड़ियों को जोंटी रोड्स द्वारा ही सम्मानित किया गया.
रांची पहुंचे दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर जोंटी रोड्स, बोले- धोनी की फिटनेस और रांची की ऊर्जा ने जीता दिल
