जिलों में उर्वरक वितरण में अव्यवस्था के लिए कलेक्टर होगें उत्तरदायी – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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भोपाल/ग्वालियर । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जिलों में उर्वरक वितरण के संबंध में जिला प्रशासन आवश्यक व्यवस्था बनाए। उपलब्ध उर्वरक की उचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से निरंतर संवाद और संपर्क में रहे। उर्वरक वितरण की व्यवस्था में किसान संगठन के प्रतिनिधियों को भी जोड़ा जाए। जिलों में यदि उर्वरक वितरण को लेकर अव्यवस्था होती है तो उसके लिए जिला कलेक्टर उत्तरदायी होंगे। राज्य सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और जिलों में उर्वरक वितरण की स्थिति की बुधवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन से समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना सहित अधिकारी उपस्थित थे। सभी जिले के कलेक्टर एवं संबंधित अधिकारी वर्चुअली जुड़े।
ग्वालियर में संभाग आयुक्त कार्यालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में संभागीय आयुक्त मनोज खत्री, कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान, अपर कलेक्टर कुमार सत्यम व सी बी प्रसाद एवं संभागीय संयुक्त संचालक किसान कल्याण व कृषि विकास आरएस शाक्यवार सहित खाद वितरण व आपदा प्रबंधन से जुड़े अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में उर्वरक उपलब्धता की सघन समीक्षा की जाए। साथ ही जिले में उपलब्ध उर्वरक के स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों से भी साझा करें, इससे किसानों को जिले में उर्वरक उपलब्धता की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने में मदद मिलेगी। जिला प्रशासन डबल लॉक, पैक्स और निजी विक्रय केंद्रों का आकस्मिक सत्यापन और उनकी मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से करें। अतिरिक्त विक्रय केन्द्र की आवश्यकता होने पर उनका संचालन तत्काल आरंभ किया जाए। कृषि, सहकारी बैंक, विपणन संघ के अधिकारी निरंतर सम्पर्क में रहें। बैठक में खरीफ 2025 के लिए यूरिया, डी.ए.पी, एन.पी.के, एस.एस.पी, एम.ओ.पी तथा डी.ए.पी ़ एन.पी.के की उपलब्धता, ट्रांजिट की स्थिति की जानकारी प्रस्तुत की गई। साथ ही नेनो एवं जैविक उर्वरक वितरण कार्यक्रम के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। बताया गया कि उर्वरक की कालाबाजारी, अवैध भंडारण, अवैध परिवहन और नकली उर्वरक आदि से संबंधित प्रकरणों पर कार्यवाही करते हुए 53 एफ.आई.आर दर्ज की गई और 88 लायसेंस निरस्ती, 102 लायसेंस निलंबन सहित 406 विक्रय प्रतिबंधित की कार्यवाही की गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उर्वरक वितरण व्यवस्था के संबंध में धार, दमोह, जबलपुर और रीवा जिले के कलेक्टरों से चर्चा की। दमोह कलेक्टर ने बताया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सतत् सम्पर्क और संवाद सुनिश्चित करते हुए वितरण व्यवस्था में उनका सहयोग लिया जा रहा है। साथ ही टोकन वितरण और उर्वरक वितरण को अलग-अलग किया गया है। टोकन तहसील कार्यालय से बांटे जा रहे हैं और वितरण विक्रय केन्द्रों से किया जा रहा है। जबलपुर कलेक्टर ने बताया कि किसानों के लिए टोकन वितरण की व्यवस्था फोन कॉल द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। उर्वरक वितरण केन्द्रों पर डिस्पले बोर्ड लगाए गए हैं। बोर्ड न पर टोकन नंबर प्रदर्शित कर उर्वरक वितरण किया जा रहा है। डिस्पले बोर्ड पर जिले में उपलब्ध उर्वरकों की मात्रा भी प्रदर्शित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अन्य जिलों को भी इस प्रकार के नवाचार अपनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में जिन-जिन क्षेत्रों में भी अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को क्षति हुई है, वहां राहत के लिए तत्काल कार्रवाई आरंभ की जाए। साथ ही जनहानि और पशु हानि की स्थिति में 24 घंटे में राहत उपलबध कराई जाए। बाढ़ के दौरान अस्थाई कैम्प व्यवस्था, राशन वितरण, भोजन वितरण आदि की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सामग्री सभी संभावित स्थानों पर उपलब्ध हो। आगामी दिनों में भी भारी वर्षा की संभावना है। सभी जिलों में पुलिस प्रशासन सक्रिय और सजग रहते हुए पुल-पुलिया में बैरिकेटिंग और बाढ़ की स्थिति में पुल क्रास न करने की चेतावनी की व्यवस्था जैसी सभी आवश्यक सावधानियां सुनिश्चित करें।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 1 जून से 2 सितम्बर तक 971.5 एमएम अर्थात् 38.24 इंच वर्षा दर्ज की गई है, जो औसत से 21 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 21 जिलों में भिण्ड, छतरपुर, श्योपुर, ग्वालियर, नीमच, मुरैना, शिवपुरी, अशोकनगर, अलीराजपुर, सिंगरौली, राजगढ़, मण्डला, सीधी, टीकमगढ़, गुना, नरसिंहपुर, दतिया, रतलाम, उमरिया, रायसेन और सिवनी में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। सर्वाधिक वर्षा गुना, मण्डला, श्योपुर, रायसेन और अशोकनगर में दर्ज हुई। प्रदेश के प्रमुख बांधों में जलभराव की स्थित की जानकारी भी प्रस्तुत की गई।बैठक में बताया गया कि बाढ़ और अतिवृष्टि में कुल 394 जनहानि हुई और 5 हजार से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए। बाढ़ से 1814 पशुहानि भी दर्ज की गई। शिवपुरी, बुरहानपुर, दमोह, अशोकनगर, धार, छतरपुर, रायसेन, उमरिया, बड़वानी, मंडला और कटनी जिलों का कुल 12 हजार हेक्टेयर रकबा अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित हुआ है। प्रभावित 17 हजार 500 कृषकों के लिए 20 करोड़ रूपए से अधिक की राहत राशि स्वीकृत की गई है।

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