पं कृष्णकान्त तिवारी
पत्रकार /लेखक :9425119793
आज के संघर्ष भरे जीवन में प्रत्येक इंसान का पहला प्रश्न होता है समस्या। जिसको लेकर वह हमेशा परेशान बना रहता है। हम देखते हैं कि आये दिन कोई न कोई समस्या हम लोगों के जीवन में बनी रहती है और ये समस्यायें हमें लगातार परेशान करती है जिससे मन में चिंता बनी रहती है कि कैसे इसका समाधान हो कैसे इसको समाप्त किया जाये। पर अधिकांशतः देखने में आता है कि अगर कोई समस्या या पारिवारिक झगड़ा सामने आता है तो हम अपना ज्यादा से ज्यादा समय लगातार सोचने में खर्च करते हैं जिससे हमारे दिमाग में चिंता अपनी जगह बना लेती है और इस बजह से हमे शारीरिक तथा मानसिक तौर पर नुकसान होता है।
आपको बता दें कि हमारे लगातार सोचने से दिमाग के सामने दो रास्ते रहते हैं या तो वह सकारात्मक सोच सकता है या फिर वह नाकारत्मक। पर अधिकांशतः हमारा दिमाग हमारे सोचने पर निर्भर करता है अगर हम नाकारात्मक सोचते रहेगे तो आप स्वयं नाकारात्मक हो जायेगे फिर आपके सारे काम रिष्ते सोच खराब होना शुरू हो जायेगे। इसलिये हमे अपने दिमाग को किसी भी परिस्थिति में सकारात्मक रखना चाहिए क्योंकि पारिवारिक कलेश या जीवन की समस्यायें हमे कम ही मौके पर सकारात्मक सोचने की ओर ले जाती है ज्यादातर हम सभी नकारात्मक ही सोचते हैं। यही चिंता आगे चलकर के मानसिक रोग जैसे-ज्यादा गुस्सा आना, चिढ़चिढ़ापन, नाकारात्मक प्रवृत्ति, माइग्रेन, बीपी, सुगर तथा सीजो्िफ्रनिया जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है।
आज सबसे बड़ा सबाल है कि हमे ऐसा क्या करना चाहिए कि हम अपने जीवन की समस्याओं को कम कर सकते हैं तो आइये जानते हैं। हमे सबसे पहले तो नकारात्मक सोचने की क्षमता को रोकना चाहिए रोकने के लिये अपने दिमाग में एक बात को हमेशा के लिये रख लीजिए कि किसी भी समस्या या परेशानी पर हमे सिर्फ 10 मिनिट सोचना है फिर उसका उपाय ढूढ़ना है। ज्यादा सोचने से आपकी समस्या और विकराल रूप ले लेती है। इसलिये अगर किसी भी समस्या पर निश्चित सोचते हैं तो 70 प्रतिषत वह समस्या स्वतः समाप्त हो जाती है इसी प्रकार अगर ग्रह कलेष आदि में हम उस जगह से दूर हो जाते है और अपना ध्यान किसी अन्य कार्य में लगाते हैं और बार-बार उन्हीं बातों को याद न करते हुये केवल उन बातों पर से अपना ध्यान हटा दे तो समस्या के समाप्त होने की संभावना अत्याधिक रहती है।
इसके साथ ही आपको बता दूॅ कि घरेलू ग्रह कलेष में उन्हीं बातों को सोचने से अपने पार्टनर से बहस करने से झगड़ा बढ़ता ही जाता है समाप्त होने की संभावना कम से कम रहती है। घरेलू हिंसा में सबसे बड़ी यह बात सामने आती है कि किसी भी बात का लंबे समय तक चलना हिंसा का रूप ले लेती है वे छोटी-छोटी बाते जिनका कोई मतलब नहीं निकलता उन बातों पर लगातार सोचते रहने से उनके प्रति लगातार नकारात्मकता बनती जाती है और वही छोटी बातें कब बड़ा रूप ले लेती आपको मालूम भी नहीं चलता है। इसके साथ ही कई मामलों में देखा जाता है कि अधिकांशतः लड़कियॉ शादी के बाद अपने ससुराल की सारी बाते मायके में बताना चालू कर देती है जिससे दोनो परिवारों में मतभेद पैदा हो जाते हैं जो आगे चलकर झगडे को जन्म दे देती हैं इसलिये शादी के बाद लड़कियों को बहुत जरूरी बाते ही अपने मायके में बतानी चाहिए।
भारत में 55 प्रतिशत लड़ाई झगडे जरूरत से ज्यादा सोचने से होते हैं। उसका हल किसी के पास नहीं होता है जबकि हल सिर्फ उस बात को सोचना बंद करना ही है। अनेक लेखकों ने अपनी पुस्तिकों में यह लिखा है कि आपको जैसा बनना हैै आप बैसा ही सोचना शुरू कर दीजिए तो आप कुछ दिन में ही वैसा बन जायेगे। तब आपको ही सुनिष्चित करना है कि आप सोचे क्या सही या गलत क्योंकि आप बैसे ही बनने वाले हैं। अधिकांशतः डॉक्टर की सलाह रहती है कि ओवरथिकिंग को रोका जाये क्योंकि कि जैसा हम सोचते हैं वैसा होने की संभावना मात्र 20 प्रतिषत ही रह जाती है। इसलिये आपको भी ओवरथिकिंग के षिकार होने से बचना चाहिए।
आप स्वयं विचार कीजिए कि एक छोटा से उपाय से आपको कितनी राहत मिलने वाली है। इसके साथ ही आपके दिमाग में नाकारात्क विचार बनने की संभावना भी सिर्फ 1 प्रतिशत रह जाती है और घरेलू या पारिवारिक हिंसा पर भी विराम लग जायेगा। यह फार्मूला घर के सभी सदस्यों को भी बता दें ताकि वे सभी भी केवल 10 मिनिट सोचकर ही अपनी मानसिक स्थिति में सुधार कर सकें। आपको सिर्फ यही करना है कि कितनी भी बड़ी समस्या हो उस पर गंभीरता से बिचार कीजिए फिर उसका समाधान निकालिये। अगर आप अपनी व अपने परिवार की खुशी चाहते हैं तो आज से ही किसी भी बात पर स्वयं और अपने परिजनों को सिर्फ 10 मिनिट सोचने की सलाह देना है उससे अधिक सोचना तुरंत बंद करना है।
एक बात और अक्सर सुनने को मिलती है कि मैं खाना तो खाता हूॅ पर शरीर को लगता नहीं है या कोई अत्याधिक मोटापे का षिकार रहता है पर ऐसा क्यो होता है आप जानते है ऐसा इसलिये होता है क्योंकि वह अपनी कैलोरी का 70 प्रतिशत हिस्सा दिमाग पर सोचने में खर्च कर देता है। इसलिय हमे अगर शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहना है तो सोचने के स्तर में सुधार करना चाहिए और आज से ही केवल 10 मिनिट सोचने के फार्मूले पर कार्य करना चाहिए इसके साथ ही प्रतिदिन नियमित व्यायाम, घूमना, हरी सब्जियों का ज्यादा प्रयोग व डेली रूटीन को ठीक करके आप पूर्ण रूप से स्वस्थ्य रह सकते हैं।
